उजड़ा जो चमन अपना कुसूर किसका कैसे बोलूं उजड़ा जो चमन अपना कुसूर किसका कैसे बोलूं
लेकिन सुबह उसकी रोशनी से आँख नहीं खुलती घर में अँधेरा ही होता है लेकिन सुबह उसकी रोशनी से आँख नहीं खुलती घर में अँधेरा ही होता है
अपना शरीर जो सबसे अधिक सगा था सबसे बड़ा वो ही बेवफ़ा निकला अपना शरीर जो सबसे अधिक सगा था सबसे बड़ा वो ही बेवफ़ा निकला
मैं सिसक कर भी सब के दुखड़े लिखता हूँ। मैं सिसक कर भी सब के दुखड़े लिखता हूँ।
माँ ही है वो जादूगर ये समझना नहीं अब मुश्किल ! माँ ही है वो जादूगर ये समझना नहीं अब मुश्किल !
इसलिये कि आज भी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ या इसलिये कि इस भ्रम से उबर पाना मेरे लिये मुश्कि... इसलिये कि आज भी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ या इसलिये कि इस भ्रम से उबर प...